वैष्णो देवी धाम दर्शन

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Vaishno Devi Jammu Katra

जय माँ वैष्णो देवी 

 देश के  सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण तीर्थों में से एक वैष्णो देवी मंदिर, जिसे भवन नाम से भी जाना जाता है – जहां माँ वैष्णो देवी विराजती है। इस भवन में स्थित एक गुफा मंदिर में माँ वैष्णो देवी के दर्शन होते है। मंदिर मे देवी के पिंडी स्वरूप में देवी महाकाली, महा सरस्वती और महा लक्ष्मी रूप विराजती हैं। यहाँ प्रतिवर्ष लाखों –  करोड़ों श्रद्धालु, माँ के दर्शनों के लिए पहुँचते है।
Trek to Vaishno Devi 

प्रतिदिन सूर्योदय से कुछ पहले बजे माँ की वैदिक मंत्रोच्चार के साथ आरती आरंभ होती है, जो लगभग एक – डेढ़ घंटे तक चलती है, जिसमे मंत्रौचार, प्रार्थना सहित प्रवचन शामिल होते है, और सूर्यास्त के बाद भी इसी तरह आरती होती है, 

इस पूजा में भाग लेने के लिए माँ वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की ऑफिसियल वेबसाइट maavaishnodevi.org से बुकिंग करवायी जा सकती हैइस वेबसाइट या मोबाइल एप से  माँ वैष्णो देवी मार्ग में रात्रि विश्राम, हेलीकॉप्टर सहित अन्य कई सेवाओं के लिए बुकिंग करायी जा सकती है। 

प्रातः और सांध्य आरती के समय को छोड़कर, माँ वैष्णो देवी के दर्शन, दर्शनों के लिए बनी – क़तार में खड़े होकर अपनी बारी पर दिन – रात किसी भी समय किये जा सकते है। वैष्णो देवी मंदिर में होने वाली आरती को श्रदालू घर बैठे प्रतिदिन लाइव भी देख सकते है। कैसे इस पर आगे बात करेंगे। 

पॉपकॉर्न ट्रिप के माँ वैष्णो देवी मंदिर यात्रा से जुड़ी जानकारी देते लेख और video को देखने के लिए आपका स्वागत है।

कैसे पहुँचे!

मां वैष्णो देवी मंदिर के दर्शन करने के लिए शेष भारत से कटरा पहुँचना होता है। और कटरा तक सीधी ट्रेन ना हो तो जम्मू पहुँच सकते है। – जम्मू तवी रेलवे स्टेशन से कटरा की दूरी लगभग ५० किलोमीटर है। जम्मू – जम्मू और कश्मीर की शीतकालीन राजधानी है और भारत के सभी प्रमुख शहरों से हवाई, सड़क और रेल मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

By Air आने के लिए भी कटरा का निकटतम हवाई अड्डा जम्मू हवाई अड्डा है, जिसे आधिकारिक तौर पर जम्मू सिविल एन्क्लेव के रूप में जाना जाता है। इण्डियन एयरलाइंस और जेट एयरवेज़ की फ्लाइट प्रतिदिन जम्मू से ऑपरेट होती है। नयी दिल्ली से जम्मू की हवाई यात्रा में लगभग 80 मिनट का समय फ्लाइंग टाइम है।

बस के साथ कैब और टैक्सी की नियमित सेवाएं हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन से आसानी से उपलब्ध हैं। 

भारत के लगभग हर बड़े शहर से जम्मू और कटरा के लिए कई ट्रेनें उपलब्ध हैं। कटरा तक ट्रेन ना मिले तो –  जम्मू तवी रेलवे स्टेशन आकर यहाँ से आगे  टैक्सी अथवा नियमित रूप से चलने वाली बस से कटरा पहुँच सकते है। 

जम्मू तवी रेलवे स्टेशन से कटरा तक की दूरी लगभग 51 किमी है। इसके अलावा देश पर से सड़क मार्ग से आसानी से जम्मू और कटरा पहुचा जा सकता है। कटरा समुद्र तल से 2500 फीट की ऊंचाई पर है और माता वैष्णो देवी भवन समुद्र तल से 5200 फीट की ऊंचाई पर है। मार्च से मध्य जुलाई तक तीर्थयात्रियों की सर्वाधिक संख्या होती है।

कहाँ रुकें!

कटरा में हर बजट के होटल/ गेस्ट हाउस मिल जाते है। यहाँ वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड के कुछ गेस्ट हाउस कटरा से वैष्णों देवी के मार्ग में कई जगह है, उन्हें भी एडवांस में बुकिंग करायी जा सकती है। हमने अपनी यात्रा में कटरा में के गेस्ट हाउस में रूम लेकर यात्रा शुरू की। कटरा से बाणगंगा तक नियमित अंतराल पर ऑटो रिक्शा मिलते रहते हैं।

पैदल मार्ग

वैष्णो देवी मंदिर के पैदल मार्ग में यात्रा प्रारंभ करने से पूर्व पंजीकरण कराना आवश्यक होता है, इसके लिए कटरा में स्थित जम्मू और कश्मीर के पर्यटक रिसेप्शन काउंटर, जो कटरा बस स्टेशन के समीप है, सुबह पाँच बजे से रात्रि 10 बजे यात्री अपना पहचान पत्र दिखा कर यात्रा हेतु आरएफआईडी कार्ड ले सकते है, RFID कटरा हैलीपैड, माता वैष्णो देवी रेलवे स्टेशन कटरा में भी बनवायें जा सकते है।

आरएफआईडी लेने के बाद  कटरा से दो किमी दूर बाणगंगा स्थित चेक पोस्ट तक ऑटो से पहुँच कर, कटरा से बाणगंगा चेक पोस्ट के लिए ऑटो आसानी से उपलब्ध हो जाते है,  यहाँ से आगे से माँ वैष्णो देवी के लिए ट्रेक शुरू होता है। जो लगभग बारह  किलोमीटर का है। 

बाणगंगा चेक पोस्ट पर आरएफआईडी radio frequency identification दिखाने के बाद ही ट्रेक की अनुमति मिलती है।  RFID को पूरी यात्रा में अपने साथ रखना अनिवार्य है, और यात्रा संपन्न होने के बाद बाणगंगा के प्रवेश/ निकास द्वार में जमा करना भी ज़रूरी है। 

RFID बनाने के बाद यात्री को 6 घंटे के अंदर बाणगंगा के चेक एंट्री द्वारा पर पहुँचना होता है। 

नदी का नाम बाण और गंगा से मिलकर बना है। बाण का अर्थ है तीर – arrow और गंगा पवित्र नदी गंगा के लिए है। ऐसा माना जाता है कि माता वैष्णो देवी ने पवित्र गुफा की ओर जाते समय अपने तरकश से एक तीर से इस जलाशय का निर्माण किया था, इसलिए इसका नाम बाणगंगा पड़ा। मान्यता है – कि उन्होंने इसमें डुबकी लगाई थी और अपने बाल भी यहीं धोए थे। कई तीर्थयात्री यात्रा प्रारंभ करने से पूर्व इसमें स्नान भी करते हैं। नदी के किनारे कुछ कुछ घाट भी दिखते हैं। वैष्णो देवी के मुख्य मंदिर, जिसे भवन कहा जाता है, की पैदल यात्रा आरंभ से ही  दुकाने, चाय नाश्ते, भोजन आदि के प्रतिष्ठान मिलने लगते है, मार्ग में जगह जगह वाटर प्युरीफ़ायर, डस्ट बिन्स, टॉयलेट भी बने है। मार्ग में 24 घंटे वैष्णो देवी दर्शन हेतु जाते और दर्शन कर आते, श्रदालुओं का आवागमन होता रहता है। अलग अलग सीजन के अनुसार इनकी संख्या कम या ज़्यादा हो सकती है। 

दुकानों में मिलने वाली बांस की स्टिक्स जो बीस- तीस रुपये में मिल जाती हैं, इनके साथ ट्रेक करने में सहायता मिलती है।   यहीं से घोड़े, पालकी आदि भी उपलब्ध हो जाते हैं, जिनके लिए अलग मार्ग है। हेलीकॉप्टर से आना हो, तो वो कटरा हैलीपैड से मिल जाते है, लेकिन उसके लिए एडवांस बुकिंग करानी होती हो तो हेलीकॉप्टर सांझी छत तक जाते है, जहां से माँ वैष्णो देवी का ट्रेक 2.5 kilometer है। 

बाणगंगा से कुछ आगे चलते हुए पहुँचे – माँ के प्रथम चरण पादुका स्थल। ये है वो स्थान जहां माँ के प्रथम चरण पड़े थे, चरण पादुका, जो पुराने मार्ग से जाते हुए नज़र आता है। 

मार्ग में फुट मसाज देती मशीन लगी हुई कई स्टाल्स दिखते हैं, जहां यात्री भवन से लौट कर अपनी पैरों को आराम पहुँचाते दिखते है। हाँ अखरोट और ड्राई फ़्रूट कई दुकानों में भरें मिलते है, आकर्षक क़ीमतों पर, लेकिन इन्हें ख़रीदने से पहले सावधानी बरतना ज़रूरी है, अक्सर दिखने वाले अच्छे लगते है, लेकिन जब लोग घर ले जाते है, तो कई ख़राब क्वालिटी के निकलते है। मार्ग में प्लास्टिक सामग्री, डिस्पोजेबल सामग्री ले जाना प्रतिबंधित है।

पैदल मार्ग ज़्यादातर कवर्ड है, लगातार हल्की चढ़ाई लिए, घुमावदार मार्ग होने के कारण – ट्रैकिंग रूट के बीच -२ में सीढ़ीनुमा शॉर्टकट्स भी है, हर शॉर्टकट में सीढ़ियों की संख्या आरम्भ में ही लिखी गई है। साथ ही ये निर्देश भी –  बुजुर्ग, बीमार व हृदय रोगी सीढ़ियों का प्रयोग करने से बचना चाहिए। 

तीर्थ यात्रियों को ले जाने का साथ – भवन तक विभिन्न आवश्यक सामग्री भी ले जाते हैं –  खच्चर।    

सफ़र हमने रात में शुरू किया, पर्याप्त रोशनी के साथ ट्रैकिंग रूट अच्छे बने है, मार्ग में रात्रि में कटरा का जगमगाता दृश्य काफ़ी लुभावना दिखता है। मार्ग में आवश्यकता पड़ने पर स्वास्थ्य सहायता, पूरे मार्ग में प्रकाश व्यवस्था का प्रबंधन, माँ वैष्णो देवी shrine बोर्ड द्वारा किया जाता है। 

जम्मू में फ़िलहाल पोस्ट पेड मोबाइल फ़ोन ही काम करते है, और अगर आपके पास प्री पेड सिम है तो जितनी देर जम्मू राज्य में है – फ़ोन बातचीत करने के काम नहीं आएगा, इसलिए इस ट्रैकिंग रूट में अगर फ़ैमिली या ग्रुप में है तो कुछ निश्चित स्थान तय कर कर सकते है, अगर आगे – पीछे हो गये हो गये तो कहाँ पर एक दूसरे का इंतज़ार करेंगे। कटरा से भवन के बीच कई पॉइंट्स हैं –  बाणगंगा, चरण पादुका, इंद्रप्रस्थ, अर्धकुवांरी, गर्भजून, हिमकोटी, सांझी छत और भैरो मंदिर शामिल है कटरा मार्ग में कई दुकानों में किराए पर सिम देने वाले पोम्पलेट भी लगे दिखते है। 

कटरा से लगभग 6 किलोमीटर चल कर है, अर्धक्वारी। यह इस तीर्थयात्रा का मिडल पॉइंट है। अर्धकुवारी में माता का मंदिर और गुफा है। गुफा में प्रवेश के लिए यहाँ भवन के लिए जाने से पूर्व अपना नंबर लगवा सकते है, और वापसी तक नंबर आ जाये तो गुफा में प्रवेश किया जा सकता है। अर्धकुवारी में रात के समय कमरों के साथ प्रांग्रण में विश्राम करते तीर्थयात्री भी दिखते है, कंबल अर्धुकुवारी में बने काउंटर से लिए जा सकते है। यहाँ कुछ रूम्स भी है, उपलब्ध होने पर आवश्यक शुल्क देकर उन्मे भी ठहरा जा सकता है।  

अर्धकवारी से भवन के लिए दो मार्ग हैं, बायीं ओर हिमकोटी होते हुए (लगभग 5.5 kilometer), दायी ओर, जो अर्धकुवारी में कंबल जारी करने वाले काउंटर से लगा हुआ है, और चढ़ाई लिए हुए, थोड़ा लंबा  है। (लगभग 6.5 kilometer) है।

अर्धकुवारी

वर्णित कथा के अनुसार – बाणगंगा और चरण पादुका में विश्राम करने के बाद, माता अद्कुवारी में रुकी, यहाँ एक छोटे से गर्भ के आकार की गुफा में उन्होंने नौ माह तक ध्यान किया। चूंकि वैष्णवी ने नौ महीने की अवधि के लिए गर्भ के आकार की गुफा में आध्यात्मिक अनुशासन का पालन किया था, इसलिए यह गुफा गर्भ जून के नाम से लोकप्रिय हो गई। 

जब उनके ध्यान के दौरान उन्हें पता चला कि भैरों नाथ उनकी खोज में गुफा तक पहुंचे हैं, तो उन्होंने अपने त्रिशूल के साथ दूसरे छोर पर एक निकास बनाया और पवित्र गुफा की ओर बढ़ गईं। चूंकि गुफा बहुत संकरी है, इसलिए एक समय में केवल एक ही व्यक्ति इससे गुजर सकता है। 

 

Ardkuwari
Ardhkuwari

अर्धकवारी और कटरा के बीच में हिमकोटी होते हुए ५-६ किलोमीटर के मार्ग में –  इलेक्ट्रिक वाहनों से भी जा सकते है, लेकिन सीमित इलेक्ट्रिक वाहन चलने के कारण, अपनी सीट बुक कराने के बाद देर तक वाहन का इंतज़ार करना पड़ सकता है। पूरे यात्रा मार्ग में जगह जगह पर आवश्यक announcements और मधुर भजन प्रसारित किए जाते हैं। 

 

vaishno devi
vaishno devi गेट नंबर 3 से सामान्य श्रेणी के दर्शनार्थियों का प्रवेश होता है। 
गेट नंबर 3 के पास स्थित काउंटर से आप अपने किसी साथी जो आपसे यात्रा में बिछड़ गया हो, की सूचना प्रसारित करवा सकते हैं। जिसकी घोषणा यहाँ से लगभग 100 मीटर के दायरे में लगे विभिन्न माइक्स के ज़रिए की जाती है। 

माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की विभिन्न सुविधाओं की जानकारी  ऐप “Mata Vaishnodevi App” अथवा वेबसाइट  के द्वारा भी प्राप्त किया जा सकता है। मार्ग में जगह जगह पर यात्रियों के बैठने के लिए बेंचेज, पीने के पानी के लिए वाटर टैंक व आवश्यक निर्देश देते हुए बोर्ड्स दिखते रहते हैं।  कहीं कहीं पर चट्टान की ओर से पानी भी टपकता दिखता है। जहां पर तेज गति से सँभलते हुए चले, ऐसे निर्देश दिये बोर्ड भी दिखते हैं, क्योंकि इन स्थानों में पानी के साथ मिट्टी कंकड़ आदि भी गिरने की संभावना रहती है।

लॉकर रूम के आसपास प्रसाद सामग्री की दुकानें, खाने पीने के लिए स्थान पूरे रास्ते मिलते रहते है, और लॉकर रूम  से कुछ आगे बढ़ कर है, नीचे बायीं ओर को यहाँ से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भैरो घाटी जाने के  rope-way के लिए एंट्री गेट, भैरो घाटी जाने के लिए ट्रेक भी किया सकता है। 

वैष्णो देवी मुख्य मंदिर के नीचे एक प्राचीन शिव गुफा भी स्थित है। वैष्णोदेवी के दर्शन करने की बाद श्रद्धालुगण इस गुफा के भी दर्शन करते हैं। यहाँ पहुँचने के लिए कुछ सीढ़ियाँ उतरनी होती हैं। यहाँ प्राकृतिक श्रोत से निरंतर जल बहता रहता है। 

वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास 

अधिकांश प्रांचीन तीर्थों की तरह, यह जानकारी नहीं मिलती कि –  वास्तव में यह पवित्र तीर्थ की तीर्थयात्रा कब शुरू हुई। पवित्र गुफा के एक भूवैज्ञानिक अध्ययन ने इसकी आयु लगभग एक लाख वर्ष होने का संकेत दिया है। वैदिक साहित्य में किसी देवी-देवता की पूजा का कोई संदर्भ नहीं मिलता है, हालांकि चार वेदों में सबसे पुराने ऋग्वेद में त्रिकुट पर्वत का उल्लेख मिलता है।

देवी मां का पहला उल्लेख महाकाव्य महाभारत में मिलता है। जब पांडवों और कौरवों की सेनाएँ कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में खड़ी थीं, तो श्रीकृष्ण की सलाह पर पांडवों के प्रमुख योद्धा अर्जुन; देवी मां का ध्यान किया और जीत का आशीर्वाद मांगा। यह तब है जब अर्जुन देवी माँ को ‘जम्बूकाटक चित्यैषु नित्यं सन्निहितालय’ कहकर संबोधित करते हैं, जिसका अर्थ है ‘आप जो हमेशा जम्बू में पर्वत की ढलान पर मंदिर में निवास करते हैं’ (जंबू का संदर्भ वर्तमान में जम्मू से माना जाता है)।

Vaishno Devi Jammu
Vaishno Devi Jammu

आमतौर पर यह भी माना जाता है कि पांडवों ने सबसे पहले कोल कंडोली और भवन में मंदिरों का निर्माण देवी मां के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता में किया था। एक पहाड़ पर, त्रिकुट पर्वत के ठीक बगल में और पवित्र गुफा के सामने पाँच पत्थर की संरचनाएँ हैं, जिन्हें पाँच पांडवों की चट्टान का प्रतीक माना जाता है।

पवित्र गुफा में एक ऐतिहासिक व्यक्ति की यात्रा का शायद सबसे पुराना संदर्भ गुरु गोबिंद सिंह का है, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे पुरमंडल के रास्ते वहां गए थे। पवित्र गुफा तक जाने का पुराना पैदल मार्ग इस प्रसिद्ध तीर्थस्थल से होकर गुजरता था।

कुछ परंपराएं इस मंदिर को सभी शक्तिपीठों में सबसे पवित्र मानती हैं (एक ऐसा स्थान जहां देवी मां, शाश्वत ऊर्जा का निवास है) क्योंकि माता सती की मस्तक यहां गिरा था। कुछ लोग मानते है –  कि उसका दाहिना हाथ यहाँ गिरा था। श्री माता वैष्णो देवीजी की पवित्र गुफा में, एक मानव हाथ के पत्थर के अवशेष मिलते हैं, जिसे वरद हस्त (वह हाथ जो वरदान और आशीर्वाद देता है) के रूप में जाना जाता है।

वैष्णो देवी की पिंडी रूप में दर्शन करने के बाद, हम चले भैरो घाटी को।

भैरो घाटी को चढ़ाई लिए हुए मार्ग के प्रारंभ में दिखते है कुछ रेस्टोरेंट। भैरो घाटी के लिए पालकी, घोड़ा आदि उपलब्ध हो जाते हैं, और अगर आप के साथ छोटे बच्चे हैं, तो उनके लिए ट्रॉली भी अवैलबल हो जाती है। जो समर्थ हैं, उनके लिए सीढ़ियाँ भी हैं, जिनकी संख्या सीढ़ियों के प्रारंभ में ही अंकित है। बीच बीच में ट्रॉली में भैरव घाटी को जाती ट्रॉली, और साथ चलते श्रद्धालु, और दर्शन कर वापस लौटते श्रद्धालु दिखते रहते हैं। 

भैरो मंदिर का प्रवेश द्वार, मंदिर में श्रद्धालु की भीड़ को मैनेज करने के लिए इस तरह से रेलिंग द्वारा rows बनी हुई है, जिससे कम जगह में बिना धक्का- मुक्की के अधिक लोग लाइन में खड़े हो सके। और भैरो देव के मुख्य कक्ष में दर्शन कर श्रद्धालु कृतार्थ हो इस मार्ग से आगे बढ़ बाहर निकलते हैं।

Bhairo Mandir
Bhairo Mandir

कल शाम कटरा में मिली बारिश के बाद आज अच्छी धूप खिली है, जिससे आस पास की घाटियों के साथ वैष्णो देवी माता के मुख्य भवन का बड़ा सुंदर दृश्य दिख रहा है।  

मौसम

मध्य जुलाई से सितंबर – इन महीनों में कटरा में भारी वर्षा होती है, इसलिए अचानक land स्लाईड, सड़क खराब होने से माँ वैष्णो देवी की यात्रा करना मुश्किल हो सकता है।  इस समय कम यात्री होते है, जिससे, जो लोग बजट यात्रा और आराम से दर्शन करना चाहते है, वे ऐसा समय थोड़ा जोखिम लेकर आते है। 

अक्टूबर के महीने में नवरात्रि का त्योहार होने के कारण देश-विदेश से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। 

दिसंबर से जनवरी के मध्य तापमान उप-शून्य स्तर तक पहुँच जाता है, और आप भारी हिमपात का देख सकते हैं। इस मौसम के बावजूद, तीर्थयात्री एक अनोखे रहस्यमय अनुभव के लिए योजना बनाते हैं और मंदिर जाते हैं और यदि आप फोटोग्राफी से प्यार करते हैं, तो आपको इन दिनों अपनी यात्रा को याद नहीं करना चाहिए।

अधिक संख्या में यात्री वर्ष के अंत और शुरुआत में भी आते है, इस समय मार्ग पर बड़ी संख्या में दर्शनार्थी होते है। 

Clothing and accessories

सर्दियों के दौरान भारी ऊनी कपड़े ले जाने की जरूरत होती है। शेष वर्ष के लिए, हल्के ऊनी कपड़ों की आवश्यकता होती है। गर्मियों में भी, जब बेस कैम्प कटरा भी गर्म और उमस से भरा हो, मुख्य तीर्थ क्षेत्र, जिसे भवन के रूप में जाना जाता है, विशेष रूप से रातों में ठंडा रहता है। कंबल निःशुल्क मिल जाते है। यात्रा के लिए कैनवास के जूतों की भी आवश्यकता हो सकती है। फैंसी जूते ट्रैकिंग रूट पर चलना मुश्किल बनाते हैं 

Souvenirs
Souvenirs

पैदल जाने वालों के लिए, खड़ी चढ़ाई पर चलने में छड़ी बहुत मददगार होती है। बरसात के मौसम में छाता और रेनकोट की आवश्यकता होती है। जूते, कैमरे, छड़ी, टॉर्च, हेडबैंड, छाता और ऐसी ही कई अन्य वस्तुएं जिनके लिए व्यक्ति पहले से तैयार नहीं हो सकता है, पूरे कटरा और पवित्र मंदिर के रास्ते में विभिन्न निजी दुकानों पर किराए पर आसानी से उपलब्ध हैं। हालाँकि उनमे से कुछ की गुणवत्ता बहुत अच्छी नहीं हो सकती है और इसलिए तीर्थयात्रियों को कुछ भी किराए पर लेने या खरीदने से पहले सावधानीपूर्वक जांच करने की आवश्यकता हो सकती है।

आपको ये जानकारी देता रोचक लेख और यात्रा संस्मरण पसंद आया होगा। विभिन्न स्थानों और ट्रैक्स की जानकारी देते लेख और वीडियोस भी आप PopcornTrip चैनल में देख सकते हैं।

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