पूर्णागिरी देवी का मंदिर टनकपुर

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उत्तराखंड में चम्पावत जिले में टनकपुर के निकट, नेपाल की सीमा से लगा – सुप्रसिद्ध पूर्णागिरी देवी का मंदिर ५५०० फीट ऊँचे अनपूर्ण पर्वत शिखर में स्थित हैं,  माँ पूर्णागिरी को पुन्यगिरी देवी के नाम से भी जाना जाता हैं- पुण्य प्रदान करने वाली देवी, मंदिर तक का रास्ता अत्यंत मनोरम – प्राकर्तिक सुन्दरता से आच्छादित हैं।

यह १०८ सिद्ध पीठों में से एक है। यह स्थान महाकाली की पीठ माना जाता है। कहा जाता है कि दक्ष प्रजापति की कन्या और शिव की अर्धांगिनी सती की नाभि का भाग यहाँ पर विष्णु चक्र से कट कर गिरा था।

पूर्णागिरि मंदिर उत्तराखण्ड राज्य के चम्पावत जिले में टनकपुर के निकट है ।

वैसे तो इस पवित्र शक्ति पीठ के दर्शन हेतु श्रद्धालु वर्ष भर आते रहते हैं। परन्तु चैत्र मास की नवरात्रियों से जून तक श्रद्धालुओं की अपार भीड दर्शनार्थ आती है। चैत्र मास की नवरात्रियों से दो माह तक यहॉ पर मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें श्रद्धालुओं के लिए सभी प्रकार की सुविधायें उपलब्ध कराई जाती हैं।

इस शक्ति पीठ में दर्शनार्थ आने वाले यात्रियों की संख्या वर्ष भर में 25 लाख से अधिक होती है। उत्तराखंड में चम्पावत जिले में टनकपुर के निकट, नेपाल की सीमा से लगा – सुप्रसिद्ध पूर्णागिरी देवी का मंदिर 5500 फीट ऊँचे अनपूर्ण पर्वत के शिखर में स्थित हैं,  माँ पूर्णागिरी को पुन्यगिरी देवी के नाम से भी जाना जाता हैं- पुण्य प्रदान करने वाली देवी, मंदिर तक का रास्ता अत्यंत मनोरम – प्राकर्तिक सुन्दरता से आच्छादित हैं. टनकपुर रेल और सड़क मार्ग से अच्छी तरह कनेक्टेड हैं, दिल्ली से मंदिर की दुरी सड़क मार्ग से लगभग 330 किलोमीटर हैं, वही मंदिर की दुरी टनकपुर रेलवे स्टेशन और बस स्टॉप से करीब २० किलोमीटर हैं. ट्रेन से हल्द्वानी, लालकुआ या रुद्रपुर पहुच कर, और वहां से टनकपुर के लिए नियमित अन्तराल में चलने वाली बस अथवा टैक्सी द्वारा टनकपुर पंहुचा जा सकता हैं. पूर्णागिरी मंदिर के बारे में जाने, जैसे यहाँ कैसे पहुचें, यहाँ का इतिहास, मार्ग, जरुरी सावधानियां, कहाँ रुकें, यहाँ के भोजन, मंदिर का इतिहास, आस पास के दर्शनीय स्थल आदि… जानने के लिए देखें वीडियो 

 

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